प्रिय उम्मीदवारों इस लेख में हमने उत्तर प्रदेश UPTET परीक्षा का विस्तृत पाठ्यक्रम अपडेटेड परीक्षा पैटर्न के साथ प्रदान किया है।
UPTET Syllabus in Hindi पीडीएफ डाउनलोड लिंक इस लेख में नीचे दिया गया है।
यदि आप भी आगामी उत्तर प्रदेश UPTET परीक्षा के लिए उपस्थित होने के इच्छुक हैं, और अभी तक आपको उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) सिलेबस (Uttar Pradesh UPTET Syllabus PDF in Hindi) और उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) परीक्षा पैटर्न UPTET पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी नहीं है, तो हमारा सुझाव है कि आप इस लेख को पूरा पढ़ें।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड राज्य के विभिन्न सरकारी स्कूलों में प्राथमिक स्तर (कक्षा I से कक्षा V) और उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा VI से कक्षा VIII) में शिक्षक बनने के लिए योग्य उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए UPTET परीक्षा आयोजित करता है। इसका फुल फ़ॉर्म Uttar Pradesh Teachers Eligibility Test (UPTET) होता है।
अभ्यर्थियों, किसी भी परीक्षा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए हमारा पहला कदम होना चाहिए की हम परीक्षा के पैटर्न को अच्छी तरह से समझे, परीक्षा के पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से जाने, और फिर एक संगठित अध्ययन योजना के साथ उसका पालन करना है।
इसीलिए यहां हमने आपके आसान संदर्भ के लिए इस पृष्ठ पर Uttar Pradesh UPTET परीक्षा का विस्तृत पाठ्यक्रम अपडेटेड परीक्षा पैटर्न के साथ साझा किया है।
आप यहां से उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) (Level 1 एंड Level 2) परीक्षा पाठ्यक्रम पीडीएफ भी डाउनलोड कर सकते हैं और उत्तर प्रदेश UPTET लिखित परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अपनी तैयारी की रणनीति को और मजबूत कर सकते हैं।
Table of Contents
UPTET Syllabus & Exam Pattern
प्रिय उम्मीदवारों आप अपनी आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए एक सही रणनीति बनाने के लिए इस पृष्ठ पर उत्तर प्रदेश UPTET Syllabus और परीक्षा पैटर्न देख सकते हैं।
UPTET पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न आपको परीक्षा की अंकन योजना और परीक्षा में प्रश्न किस विषय किस टॉपिक से पूंछे जाएंगे यह समझने में मदद करेगा।
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड इस लिखित परीक्षा के माध्यम से राज्य विद्यालयों के विभिन्न शिक्षण पदों के लिए योग्य और प्रतिभाशाली उम्मीदवारों का ही चयन करेगा।
इसलिए आपको उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) की लिखित परीक्षा में अधिक से अधिक सही प्रश्नों को हल करने के लिए अपने विषय ज्ञान और कौशल में सुधार करना होगा।
दोस्तों, आप जानते हैं कि आजकल प्रतियोगी परीक्षाएँ कठिन होती जा रही हैं, इसलिए इस परीक्षा को पास करने के लिए अभ्यर्थियों को एक ठोस अध्ययन योजना के साथ तैयारी शुरू करनी चाहिए।
एक अच्छी अध्ययन योजना बनाने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है की अभ्यर्थियों को नवीनतम परीक्षा पैटर्न और संबंधित परीक्षा के पाठ्यक्रम की गहन समझ होनी चाहिए।
इसीलिए यहां हमने आपके आसान संदर्भ के लिए इस पृष्ठ पर उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) (Level 1 एंड Level 2) परीक्षा का विस्तृत पाठ्यक्रम अपडेटेड परीक्षा पैटर्न के साथ साझा किया है, जो आपकी तैयारी की रणनीति को बढ़ावा देने में आपकी मदद करेगा।
UPTET Written Exam Pattern
इससे पहले कि हम UPTET Syllabus पर चर्चा करें, आइए परीक्षा पैटर्न और उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) की अंकन योजना के बारे में जानें।
उत्तर प्रदेश टेट (UPTET) परीक्षा में दो पेपर होते हैं: पेपर I (प्राथमिक स्तर) और पेपर II (उच्च प्राथमिक स्तर)।
UPTET पेपर 1 उन उम्मीदवारों के लिए है जो कक्षा I से कक्षा V तक पढ़ाना चाहते हैं जबकि पेपर 2 उन उम्मीदवारों के लिए है जो कक्षा VI से कक्षा VIII को पढ़ाना चाहते हैं।
अब, नीचे देखते हैं कि क्रमशः UPTET (पेपर 1 और पेपर 2) का परीक्षा पैटर्न क्या है।
उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) परीक्षा में दोनों पेपरों का पैटर्न लगभग एक जैसा है। हालांकि, चुने गए पेपर के अनुसार सेक्शन और उनकी कठिनाई का स्तर अलग-अलग होता है।
UPTET परीक्षा पैटर्न की मुख्य विशेषताएं
- उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) परीक्षा में दो पेपर होते हैं: पेपर I (प्राथमिक स्तर) और पेपर II (उच्च प्राथमिक स्तर)।
- UPTET पेपर 1 उन उम्मीदवारों के लिए है जो कक्षा I से कक्षा V तक पढ़ाना चाहते हैं जबकि पेपर 2 उन उम्मीदवारों के लिए है जो कक्षा VI से कक्षा VIII को पढ़ाना चाहते हैं।
- हालांकि, कोई भी UPTET पेपर I और पेपर II दोनों के लिए उपस्थित हो सकता है।
- पेपर I में पांच खंड होते हैं जबकि पेपर II में चार खंड होते हैं।
- प्रत्येक पेपर में 150 प्रश्न होते हैं जिन्हें 150 मिनट (2:30 hour) में पूरा करना होता है।
- सभी प्रश्नों के अंक समान हैं अर्थात अधिकतम अंक 150 के बराबर हैं।
- गलत उत्तर या बिना प्रयास के प्रश्न के लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं है।
- प्रश्न-पत्र की भाषा का माध्यम (भाषा विषयों को छोड़कर) हिन्दी एवं अंग्रेजी में द्विभाषीय (Bilingual) होगा।
UPTET पेपर I का सेक्शन डिवीजन इस प्रकार है:
खण्ड | विषय | प्रश्नों की संख्या | कुल मार्क्स |
1 | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | 30 | 30 |
2 | भाषा-I हिन्दी | 30 | 30 |
3 | भाषा-II अंग्रेजी / संस्कृत / उर्दू | 30 | 30 |
4 | गणित | 30 | 30 |
5 | पर्यावरण अध्ययन | 30 | 30 |
UPTET पेपर II का सेक्शन डिवीजन इस प्रकार है:
खण्ड | विषय | प्रश्नों की संख्या | कुल मार्क्स |
1 | बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ | 30 | 30 |
2 | भाषा-I हिन्दी | 30 | 30 |
3 | भाषा-II अंग्रेजी / संस्कृत / उर्दू | 30 | 30 |
4 | (अ) गणित एवं विज्ञान विषय (गणित एवं विज्ञान के शिक्षक हेतु) या (ब) सामाजिक अध्ययन विषय ( सामाजिक अध्ययन के शिक्षक हेतु) | 30 | 30 |
UPTET Paper 1 Detailed Syllabus
इस खंड में, उम्मीदवार उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) पेपर I लिखित परीक्षा के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम की जांच कर सकते हैं।
जैसा कि हमने पहले बताया है UPTET पेपर I में मुख्य रूप से पाँच खंड हैं: – (1) बाल विकास, शिक्षा और शिक्षाशास्त्र, (2) भाषा-I, (3) भाषा-II, ( 4) गणित, (5) पर्यावरण अध्ययन।
हम उम्मीदवारों को UPTET Syllabus में उल्लिखित केवल इन पांच विषयों पर ध्यान केंद्रित करने और जितना हो सके अभ्यास करने का सुझाव देते हैं, जैसा कि परीक्षा में पूछे गए सभी प्रश्न UPTET के आधिकारिक पाठ्यक्रम में दिए गए विषयों पर ही आधारित होते हैं।
आप लेख के इस खंड में विस्तृत UPTET पेपर 1 पाठ्यक्रम की जांच कर सकते हैं और दिए गए लिंक से पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
खण्ड I : बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ |
क) विषय-वस्तु
बाल विकास:
→ बाल विकास का अर्थ, आवश्यकता तथा क्षेत्र, बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास संवेगात्मक विकास, भाषा विकास- अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
→ बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण – ( पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय संचार माध्यम)
सीखने का अर्थ तथा सिद्धान्त:
→ अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ।
→ अधिगम के नियम – थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व।
→ अधिगम के प्रमुख सिद्धान्त तथा कक्षा शिक्षण में इनकी व्यावहारिक उपयोगिता, थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धान्त, पैवलव का सम्बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धान्त, कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त, प्याजे का सिद्धान्त, व्योगास्की का सिद्धान्त सीखने का वक्र – अर्थ एवं प्रकार सीखने में पठार का अर्थ और कारण एवं निराकरण
शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ:
→ शिक्षण का अर्थ तथा उद्देश्य, सम्प्रेषण, शिक्षण के सिद्धान्त, शिक्षण के सूत्र, शिक्षण प्रविधियाँ, शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम), सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल।
समावेशी शिक्षा निर्देशन एवं परामर्श:
→ शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय पहचान, प्रकार, निराकरण यथाः अपवंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक दक्षता (दृष्टिबाधित श्रवणबाधित एवं वाक् / अस्थिबाधित). मानसिक दक्षता।
→ समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री विधियाँ टी०एल०एम० एवं अभिवृत्तियाँ।
→ समावेशित बच्चों का अधिगम जाँचने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी
→ समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियाँ यथा-ब्रेललिपि आदि।
→ समावेशी बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श अर्थ, उद्देश्य, प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र
परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग / संस्थायें:
- मनोविज्ञानशाला उ०प्र०, प्रयागराज
- मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र (मण्डल स्तर पर )
- जिला चिकित्सालय
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षत डायट मेण्टर
- पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तन्त्र
- समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ
- सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन
→ बाल-अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व
ख) अधिगम और अध्यापन :
→ बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं, बालक विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे और क्यों ‘असफल’ होते हैं।
→ अधिगम और अध्यापन की बुनियादी प्रक्रियाएं: बालकों की अधिगम कार्यनीतियां सामाजिक क्रियाकलाप के रूप में अधिगम अधिगम के सामाजिक संदर्भ
→ एक समस्या समाधानकर्ता और एक वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बालक।
→ बालकों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरणों के रूप में बालक की त्रुटियों को समझना।
→ बोध और संवेदनाएं
→ प्रेरणा और अधिगम।
→ अधिगम में योगदान देने वाले कारक निजी एवं पर्यावरणीय
खण्ड II : भाषा-I |
क) हिन्दी (विषय वस्तु)
→ अपठित अनुछेद।
→ हिन्दी वर्णमाला (स्वर, व्यंजन)
→ वर्णों के मेल से मात्रिक तथा अमात्रिक शब्दों की पहचान
→ वाक्य रचना
→ हिन्दी की सभी ध्वनियों के पारस्परिक अंतर की जानकारी विशेष रूप से ष, स, श, ब, व, ढ, ड, ङ, क्ष, छ, ण तथा न की ध्वनियाँ।
→ हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों, वर्णों, अनुस्वार, अनुनासिक एवं चन्द्रबिन्दु में अन्तर।
→ संयुक्ताक्षर एवं अनुनासिक ध्वनियों के प्रयोग से बने शब्द।
→ सभी प्रकार की मात्राएँ।
→ विराम चिह्नों यथा – अल्प विराम, अर्द्धविराम, पूर्णविराम, प्रश्नवाचक विस्मयबोधक, चिह्नों का प्रयोग।
→ विलोम, समानार्थी, तुकान्त, अतुकान्त, समान ध्वनियों वाले शब्द।
→ संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण के भेद।
→ वचन, लिंग एवं काल।
→ प्रत्यय, उपसर्ग, तत्सम, तद्भव, व देशज शब्दों की पहचान एवं उनमें अन्तर।
→ लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ।
→ सन्धि
(1) स्वर सन्धि- दीर्घ सन्धि, गुण सन्धि वृद्धि सन्धि, यण् सन्धि, अयादि सन्धि।
(2) व्यंजन सन्धि
(3) विसर्ग सन्धि
→ वाच्य, समास एवं अंलकार के भेद।
→ कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ।
ख) भाषा विकास का अध्यापन :
→ अधिगम और अर्जन।
→ भाषा अध्यापन के सिद्धांत।
→ सुनने और बोलने की भूमिकाः भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
→ मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श।
→ एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइयाँ, त्रुटियां और विकार।
→ भाषा कौशल।
→ भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना बोलना, सुनना, पढना और लिखना।
→ अध्यापन अधिगम सामग्रियां: पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
→ उपचारात्मक अध्यापन।
खण्ड III : भाषा-II |
क) विषय-वस्तु: → Unseen Passage → The Sentence → Parts of Speech → Tenses Present, Past, Future → Articles → Punctuation → Word Formation. → Active & Passive Voice → Singular & Plural → Gender क) विषय वस्तु → अपठित अनुच्छेद। → ज़बान की फन्नी महारतों की मालूमात → मशहूर अदीबों एवं शायरों की हालाते जिन्दगी एवं उनकी रचनाओं की जानकारी। → मुखतलिफ असनाफे अदब जैसे मज़मून, अफसाना मर्सिया, मसनवी दास्तान वगैरह की तारीफ मअ अमसाल। → सही इमला एवं तलफ्फुज की मश्क। → इस्म, जमीर, सिफत, मुतज़ाद अल्फाज, वाहिद, जमा, मोजक्कर, मोअन्नस वगैरह की जानकारी। → सनअते, (तशबीह व इस्तआरा, तलमीह, मराअतुन्नजीर ) वगैरह। → मुहावरें, जर्बुल अमसाल की मालूमात। → मखतलिफ समाजी मसायल जैसे माहौलियाती आलूदगी जिन्सी नाबराबरी, नाख्वान्दगी, तालीम बराएअग्न, अदमे, तग़जिया, वगैरह की मालूमात। → नज़्मो, कहानियों, हिकायतों एवं संस्मरणों में मौजूद समाजी एवं एखलाकी अकदार समझना। क) विषय-वस्तु : → अपठित अनुच्छेद → संज्ञाएँ → घर, परिवार, परिवेश, पशु पक्षियों, घरेलू उपयोग की वस्तुओं के संस्कृत नामों से परिचय। → सर्वनाम → क्रियाएँ → शरीर के प्रमुख अंगों के संस्कृत शब्दों का प्रयोग। → अव्यय → सन्धि- सरल शब्दों की सन्धि तथा उनका विच्छेद (दीर्घ सन्धि)। → संख्याएँ- संस्कृत में संख्याओं का ज्ञान। → लिंग, वचन, प्रत्याहार, स्वर के प्रकार, व्यंजन के प्रकार अनुस्वार एवं अनुनासिक व्यंजन। → स्वर व्यंजन एवं विसर्ग सन्धियाँ, समास उपसर्ग, पर्यायवाची शब्द, विलोम शब्द कारक, प्रत्यय एवं वाच्य। → कवियों एवं लेखकों की रचनाएँ। ख) भाषा विकास का अध्यापन: → अधिगम और अर्जन। → भाषा अध्यापन के सिद्धांत। → सुनने और बोलने की भूमिका भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। → मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श। → एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां भाषा की कठिनाईयां त्रुटियां और विकार। → भाषा कौशल। → भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। → अध्यापन अधिगम सामग्रियां पाठ्यपुस्तक, मल्टी मीडिया सामग्री कक्षा का बहुभाषायी संसाधन। → उपचारात्मक अध्यापन
खण्ड IV : गणित |
क) विषय-वस्तु :
→ संख्याएँ एवं संख्याओं का जोड़ घटाना, गुणा, भाग
→ लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्तक।
→ भिन्नों का जोड़ घटाना, गुणा एवं भाग दशमलव जोड़ घटाना, गुणा व भाग
→ ऐकिक नियम।
→ प्रतिशत।
→ लाभ-हानि।
→ साधारण ब्याज।
→ ज्यामिति – ज्यामितीय आकृतियाँ एवं पृष्ठ कोण, त्रिभुज, वृत्त।
→ धन (रूपया-पैसा )।
→ मापन समय, तौल, धारिता, लम्बाई एवं ताप
→ परिमिति (परिमाप ) – त्रिभुत आयत, वर्ग, चतुर्भुज
→ कैलेण्डर।
→ आंकड़े।
→ आयतन धारिता – घन, घनाभ।
→ क्षेत्रफल आयत, वर्ग
→ रेलवे या बस समय-सारिणी।
→ आंकड़ों का प्रस्तुतीकरण एवं निरूपण
ख)अध्यापन संबंधी मुद्दे :
→ गणितीय / तार्किक चिंतन की प्रकृति बालक के चिंतन एवं तर्कशक्ति पैटनों तथा अर्थ निकालने और अधिगम की कार्यनीतियों को समझना
→ पाठ्यचर्या में गणित का स्थान
→ गणित की भाषा
→ सामुदायिक गणित।
→ औपचारिक एवं अनौपचारिक पद्धतियों के माध्यम से मूल्यांकन
→ शिक्षण की समस्याएं।
→ त्रुटि विश्लेषण तथा अधिगम एवं अध्यापन के प्रासंगिक पहलू
→ नैदानिक एवं उपचारात्मक शिक्षण।
खण्ड V : पर्यावरण अध्ययन |
पर्यावरणीय अध्ययन (विज्ञान, इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र एवं पर्यावरण)
क) विषय-वस्तु –
→ परिवार।
→ भोजन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता।
→ आवास।
→ पेड़-पौधे एवं जन्तु।
→ हमारा परिवेश।
→ मेला।
→ स्थानीय पेशे से जुड़े व्यक्ति एवं व्यवसाय
→ जल।
→ यातायात एवं संचार
→ खेल एवं खेल भावना।
→ भारत-नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात, महाद्वीप एवं महासागर।
→ हमारा प्रदेश- नदियाँ, पर्वत, पठार, वन, यातायात।
→ संविधान |
→ शासन व्यवस्था स्थानीय स्वशासन, ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, जिला पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, जिला प्रशासन, प्रदेश की शासन व्यवस्था, व्यवस्थापिका, न्यायपालिका कार्यपालिका, राष्ट्रीय पर्व, राष्ट्रीय प्रतीक मतदान, राष्ट्रीय एकता।
→ पर्यावरण आवश्यकता महत्व एवं उपयोगिता पर्यावरण संरक्षण, पर्यावरण के प्रति सामाजिक दायित्वबोध, पर्यावरण संरक्षण हेतु संचालित योजनाएँ
ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
→ पर्यावरणीय अध्ययन की अवधारणा और व्याप्ति।
→ पर्यावरणीय अध्ययन का महत्व, एकीकृत पर्यावरणीय अध्ययन
→ पर्यावरणीय अध्ययन एवं पर्यावरणीय शिक्षा।
→ अधिगम सिद्धांत।
→ विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की व्याप्ति और संबंध।
→ अवधारणा प्रस्तुत करने के दृष्टिकोण।
→ क्रियाकलाप।
UPTET Paper 2 Detailed Syllabus
इस खंड में, उम्मीदवार उत्तर प्रदेश टेट (यूपीटेट) पेपर II लिखित परीक्षा के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम की जांच कर सकते हैं।
जैसा कि हमने पहले बताया है UPTET पेपर II में मुख्य रूप से चार खंड हैं: – (1) बाल विकास, शिक्षा और शिक्षाशास्त्र, (2) भाषा-I, (3) भाषा-II, ( 4) (अ) गणित एवं विज्ञान विषय (गणित एवं विज्ञान के शिक्षक हेतु) या (ब) सामाजिक अध्ययन विषय ( सामाजिक अध्ययन के शिक्षक हेतु)।
हम उम्मीदवारों को UPTET Syllabus में उल्लिखित केवल इन पांच विषयों पर ध्यान केंद्रित करने और जितना हो सके अभ्यास करने का सुझाव देते हैं, जैसा कि परीक्षा में पूछे गए सभी प्रश्न UPTET के आधिकारिक पाठ्यक्रम में दिए गए विषयों पर ही आधारित होते हैं।
आप लेख के इस खंड में विस्तृत UPTET पेपर 2 पाठ्यक्रम की जांच कर सकते हैं और दिए गए लिंक से पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।
खण्ड I : बाल विकास एवं शिक्षण विधियाँ |
क) विषय-वस्तु :
बाल विकास
→ बाल विकास का अर्थ आवश्यकता तथा क्षेत्र बाल विकास की अवस्थाएं शारीरिक विकास, मानसिक विकास संवेगात्मक विकास भाषा विकास अभिव्यक्ति क्षमता का विकास, सृजनात्मकता एवं सृजनात्मक क्षमता का विकास।
→ बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक- वंशानुक्रम, वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयीय संचार माध्यम)।
सीखने का अर्थ तथा सिद्धान्त :
→ अधिगम (सीखने) का अर्थ प्रभावित करने वाले कारक, अधिगम की प्रभावशाली विधियाँ
→ अधिगम के नियम- थार्नडाइक के सीखने के मुख्य नियम एवं अधिगम में उनका महत्व।
→ अधिगम के प्रमुख सिद्धान्त तथा कक्षा शिक्षण में इनकी व्यावहारिक उपयोगिता, थार्नडाइक का प्रयास एवं त्रुटि का सिद्धान्त, पैवलव का सम्बद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धान्त, स्किनर का क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धान्त, कोहलर का सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त, प्याजे का सिद्धान्त, व्योगास्की का सिद्धान्त सीखने का वक्र – अर्थ एवं प्रकार, सीखने में पठार का अर्थ और कारण एवं निराकरण।
शिक्षण एवं शिक्षण विधाएँ :
→ शिक्षण का अर्थ तथा उद्देश्य सम्प्रेषण, शिक्षण के सिद्धान्त शिक्षण के सूत्र, शिक्षण प्रविधियाँ शिक्षण की नवीन विधाएँ (उपागम) सूक्ष्म शिक्षण एवं शिक्षण के आधारभूत कौशल।
समावेशी शिक्षा निर्देशन एवं परामर्श
→ शैक्षिक समावेशन से अभिप्राय पहचान, प्रकार, निराकरण यथाः अपवंचित वर्ग, भाषा, धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ण, लिंग, शारीरिक दक्षता (दृष्टिबाधित, श्रवणबाधित एवं वाक् / अस्थिबाधित). मानसिक दक्षता।
→ समावेशन के लिए आवश्यक उपकरण, सामग्री विधियाँ, टी०एल०एम० एवं अभिवृत्तियाँ
→ समावेशित बच्चों का अधिगम जाँचने हेतु आवश्यक टूल्स एवं तकनीकी
→ समावेशित बच्चों के लिए विशेष शिक्षण विधियाँ। यथा- ब्रेललिपि आदि।
→ समावेशी बच्चों हेतु निर्देशन एवं परामर्श- अर्थ, उद्देश्य प्रकार, विधियाँ, आवश्यकता एवं क्षेत्र
परामर्श में सहयोग देने वाले विभाग / संस्थाएँ।
- मनोविज्ञानशाला उ०प्र० प्रयागराज।
- मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र (मण्डल स्तर पर )
- जिला चिकित्सालय
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षत डायट मेण्टर
- पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण तन्त्र |
- समुदाय एवं विद्यालय की सहयोगी समितियाँ।
- सरकारी एवं गैर सरकारी संगठन
→ बाल-अधिगम में निर्देशन एवं परामर्श का महत्व।
ख) अध्ययन और अध्यापन :
→ बालक किस प्रकार सोचते और सीखते हैं, बालक विद्यालय प्रदर्शन में सफलता प्राप्त करने में कैसे और क्यों ‘असफल’ होते हैं।
→ शिक्षण और अधिगम की बुनियादी प्रक्रियाएं बालकों की अध्ययन कार्यनीतियां: सामाजिक क्रियाकलाप रूप में अधिगम अधिगम के सामाजिक संदर्भ
→ एक समस्या समाधानकर्ता और एक वैज्ञानिक अन्वेषक के रूप में बालक।
→ बालकों में अधिगम की वैकल्पिक संकल्पना अधिगम प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरणों के रूप में बालक की त्रुटियों को समझना।
→ बोध और संवेदनाएं।
→ प्रेरणा और अधिगम।
→ अधिगम में योगदान देने कारक- निजी एवं पर्यावरणीय
खण्ड II : भाषा-I |
(क) विषय वस्तु :
→ अपठित अनुच्छेद।
→ संज्ञा एवं संज्ञा के भेद।
→ सर्वनाम एवं सर्वनाम के भेद
→ विशेषण एवं विशेषण के भेद
→ क्रिया एवं क्रिया के भेद
→ वाच्य कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य भाववाच्य
→ हिन्दी भाषा की समस्त ध्वनियों, संयुक्ताक्षरों, संयुक्त व्यंजनो एवं अनुस्वार एवं चन्द्रबिन्दु में अन्तर
→ वर्णक्रम, पर्यायवाची, विपरीतार्थक, अनेकार्थक समानार्थी शब्द।
→ अव्यय के भेद।
→ अनुस्वार, अनुनासिक का प्रयोग।
→ र के विभिन्न रूपों का प्रयोग।
→ वाक्य निर्माण (सरल, संयुक्त एवं मिश्रित वाक्य )।
→ विराम चिह्नों की पहचान एवं उपयोग।
→ वचन, लिंग एवं काल का प्रयोग।
→ तत्सम, तद्भव, देशज एवं विदेशी शब्द।
→ उपसर्ग एवं प्रत्यय।
→ शब्द युग्म
→ समास, समास विग्रह एवं समास के भेद।
→ मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ।
→ क्रिया सकर्मक एवं अकर्मक
→ सन्धि एवं सन्धि के भेद। (स्वर व्यंजन एवं विसर्ग सन्धियाँ) |
→ अलंकार (अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति)
ख) भाषा विकास का अध्यापन:
→ अधिगम अर्जन।
→ भाषा अध्यापन के सिद्धांत |
→ सुनने और बोलने की भूमिका भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं।
→ मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर विवेचित संदर्श।
→ एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाइया, त्रुटिया और विकार
→ भाषा कौशल।
→ भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना।
→ अध्यापन अधिगम सामग्रियां पाठ्यपुस्तक मल्टी मीडिया सामग्री कक्षा का बहुभाषायी संसाधन।
→ उपचारात्मक अध्यापन
खण्ड III : भाषा-II |
क) विषय-वस्तु : → Unseen Passage → Nouns and its Kinds Pronoun and its Kinds → Verb and its Kinds → Adjective and its Kinds & Degrees → Adverb and its Kinds → Preposition and its Kinds → Conjunction and its Kinds → Interjection → Singular and Plural → Subject and Predicate → Negative and interrogative sentences → Masculine and Feminine Gender → Punctuations → Suffix with Root words → Phrasal Verbs → Use of Somebody, Nobody, Anybody → Part of speech → Narration → Active voice and Passive voice → Antonyms & Synonyms → Use of Homophones → Use of request in sentences → Silent Letters in words क) विषय-वस्तु : → अपठित अनुच्छेद। → ज़बान की फन्नी महारतों की जानकारी। → मुखतलिफ असनाफे अदब हम्द, गजल, कसीदा, मर्सिया, मसनवी गीत वगैरह की समझ एवं उनके फर्क को समझना। → मुखतलिफ शायरों, अदीबों की हालाते जिन्दगी से वाकफियत एवं उनकी तसानीफ की जानकारी हासिल करना → मुल्क की मुश्तरका तहजीब में उर्दू जबान की खिदमत और अहमियत से वाकफियत हासिल करना। → इस्म व उसके अक्साम, फेल, सिफत, ज़मीर तज़कीरओं तानीस, तज़ाद की समझा। → सही इमला एवं एराब की जानकारी होना। → मुहावरे एवं जर्बुल अमसाल से वाफियत हासिल करना। → सनअतों की जानकारी होना। → सियासी समाजी एवं एखलाकी मसाइल के तईं बेदार होना और उस पर अपना नज़रिया वाज़े रखना। क) विषय-वस्तु : → अपठित अनुच्छेद। → सन्धि-स्वर, व्यंजन। → अव्यय → समास। → लिंग, वचन एवं काल का प्रयोग। → उपसर्ग। → पर्यायवाची। → विलोम। → कारक। → अंलकार। → प्रत्यय। → वाच्य → संज्ञाएँ निम्नवत् सभी शब्दों की सभी विभक्ति एवं वचनों के रूपों का ज्ञान → सर्वनाम | → विशेषण → धातु। → संख्याएँ। ख) भाषा विकास का अध्यापन: → अधिगम और अर्जन → भाषा अध्यापन के सिद्धांत। → सुनने और बोलने की भूमिका, भाषा का कार्य तथा बालक इसे किस प्रकार एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं। → मौखिक और लिखित रूप में विचारों के संप्रेषण के लिए किसी भाषा के अधिगम में व्याकरण की भूमिका पर निर्णायक संदर्श। → एक भिन्न कक्षा में भाषा पढ़ाने की चुनौतियां, भाषा की कठिनाईयां, त्रुटियां और विकार। → भाषा कौशल। → भाषा बोधगम्यता और प्रवीणता का मूल्यांकन करना बोलना, सुनना, पढ़ना और लिखना। → अध्यापन- अधिगम सामग्री पाठ्यपुस्तक मल्टीमीडिया सामग्री कक्षा का बहुभाषायी संसाधन। → उपचारात्मक अध्यापन
खण्ड IV : गणित एवं विज्ञान विषय |
#नोट: गणित एवं विज्ञान के शिक्षक हेतु
गणित
क) विषय-वस्तु :
→ प्राकृतिक संख्याएँ पूर्ण संख्याएँ, परिमेय संख्याएँ।
→ पूर्णांक, कोष्ठक लघुत्तम समापवर्त्य एवं महत्तम समापवर्तक।
→ वर्गमूल।
→ घनमूल।
→ सर्वसमिकाएँ।
→ बीजगणित, अवधारणा-चर संख्याएँ, अचर संख्याएँ चर संख्याओं की घात।
→ बीजीय व्यंजकों का जोड़ घटाना, गुणा एवं भाग, बीजीय व्यंजकों के पद एवं पदों के गुणांक, सजातीय एवं विजातीय पद, व्यंजकों की डिग्री, एक, दो एवं त्रिपदीय व्यंजकों की अवधारणा।
→ युगपत समीकरण, वर्ग समीकरण, रेखीय समीकरण
→ समान्तर रेखाएँ, चतुर्भुज की रचनाएँ त्रिभुज।
→ वृत्त और चक्रीय चतुर्भुज
→ वृत्त की स्पर्श रेखाएँ।
→ वाणिज्य गणित- अनुपात समानुपात प्रतिशतता लाभ-हानि साधारण ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज, कर (टैक्स) वस्तु विनिमय प्रणाली।
→ बैंकिग वर्तमान मुद्रा, बिल तथा कैशमेमो
→ सांख्यिकी आंकड़ों का वर्गीकरण, पिक्टोग्राफ, माध्य, माध्यिका एवं बहुलक, बारम्बारता।
→ पाई एवं दण्ड चार्ट, अवर्गीकृत आँकड़ों का चित्र
→ सम्भावना ( प्रायिकता ) ग्राफ, दण्ड, आरेख तथा मिश्रित दण्ड आरेख।
→ कार्तीय तल।
→ क्षेत्रमिति ( मेन्सुरेशन)
→ घातांक।
(ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे :
→ गणितीय / तार्किक चिंतन की प्रकृति
→ पाठ्यचर्या में गणित का स्थान।
→ गणित की भाषा।
→ सामुदायिक गणित।
→ मूल्यांकन।
→ उपचारात्मक शिक्षण |
→ शिक्षण की समस्याएं।
विज्ञान
(क) विषय-वस्तु
→ दैनिक जीवन में विज्ञान, महत्वपूर्ण खोज महत्व मानव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी।
→ रेशे एवं वस्त्र, रेशों से वस्त्रों तक (प्रक्रिया)
→ सजीव, निर्जीव पदार्थ जीव जगत, सजीवों का वर्गीकरण, जन्तु एवं वनस्पति के आधार पर पौधों का वर्गीकरण एवं जन्तुओं का वर्गीकरण, जीवों में अनुकूलन, जन्तुओं एवं पौधों में परिवर्तन।
→ जन्तु की संरचना व कार्य।
→ सूक्ष्म जीव एवं उनका वर्गीकरण।
→ कोशिका से अंगतन्त्र तक।
→ किशोरावस्था, विकलांगता।
→ भोजन, स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं रोग, फसल उत्पादन, नाइट्रोजन चक्र
→ जन्तुओं में पोषण।
→ पौधों में पोषण, जनन, लाभदायक पौधे।
→ जीवों में श्वसन, उत्सर्जन, लाभदायक जन्तु
→ मापन।
→ विद्युत धारा।
→ चुम्बकत्व |
→ गति, बल एवं यंत्र।
→ ऊर्जा।
→ कम्प्यूटर।
→ ध्वनि।
→ स्थिर विद्युत।
→ प्रकाश एवं प्रकाश यंत्र।
→ वायु गुण, संघटन, आवश्यकता, उपयोगिता, ओजोन परत, हरित गृह प्रभाव।
→ जल आवश्यकता, उपयोगिता, स्रोत, गुण, प्रदूषण, जल-संरक्षण।
→ पदार्थ, पदार्थों के समूह पदार्थों का पृथक्करण, पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति।
→ पास-पड़ोस में होने वाले परिवर्तन, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन।
→ अम्ल, क्षार, लवण
→ ऊष्मा एवं ताप।
→ मानव निर्मित वस्तुएँ, प्लास्टिक, काँच, साबुन, मृतिका।
→ खनिज एवं धातु।
→ कार्बन एवं उसके यौगिक
→ ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत।
ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे :
→ विज्ञान की प्रकृति और संरचना।
→ प्राकृतिक विज्ञान / लक्ष्य और उद्देश्य।
→ विज्ञान को समझना और उसकी सराहना करना
→ दृष्टिकोण / एकीकृत दृष्टिकोण।
→ प्रेक्षण / प्रयोग / अन्वेषण (विज्ञान की पद्धति)
→ अभिनवता।
→ पाठ्यचर्या सामग्री / सहायता सामग्री
→ मूल्यांकन
→ समस्याएं
→ उपचारात्मक शिक्षण |
खण्ड IV : सामाजिक अध्ययन विषय |
#नोट: सामाजिक अध्ययन के शिक्षक हेतु
इतिहास
→ इतिहास जानने के स्रोत।
→ पाषाणकालीन संस्कृति, ताम्र पाषाणिक संस्कृति, वैदिक संस्कृति।
→ छठी शताब्दी ई०पू० का भारत
→ भारत के प्रारम्भिक राज्य
→ भारत में मौर्य साम्राज्य की स्थापना।
→ मौर्येतरकालीन भारत, गुप्त काल राजपूतकालीन भारत, पुष्यभूति वंश, दक्षिण भारत के राज्य
→ इस्लाम का भारत में आगमन।
→ दिल्ली सल्तनत की स्थापना विस्तार विघटन
→ मुगल साम्राज्य, संस्कृति, पतन।
→ यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन एवं अंग्रेजी राज्य की स्थापना।
→ भारत में कम्पनी राज्य का विस्तार।
→ भारत में नवजागरण, भारत में राष्ट्रवाद का उदय।
→ स्वाधीनता आन्दोलन, स्वतन्त्रता प्राप्ति, भारत विभाजन
→ स्वतन्त्र भारत की चुनौतियां।
नागरिक शास्त्र
→ हम और हमारा समाज।
→ ग्रामीण एवं नगरीय समाज व रहन सहन
→ ग्रामीण व नगरीय स्वशासन।
→ जिला प्रशासन
→ हमारा संविधान
→ यातायात सुरक्षा
→ केन्द्रिय व राज्य शासन व्यवस्था
→ भारत में लोकतन्त्र।
→ देश की सुरक्षा एवं विदेश नीति |
→ वैश्विक समुदाय एवं भारत।
→ नागरिक सुरक्षा |
→ दिव्यांगता।
भूगोल
→ सौरमण्डल में पृथ्वी, ग्लोब पृथ्वी पर स्थानों का निर्धारण, पृथ्वी की गतियाँ।
→ मानचित्रण, पृथ्वी के चार परिमण्डल, स्थल मण्डल पृथ्वी की संरचना, पृथ्वी के प्रमुख स्थलरूप
→ विश्व में भारत, भारत का भौतिक स्वरूप, मृदा वनस्पति एवं वन्य जीव भारत की जलवायु, भारत के आर्थिक संसाधन, यातायात व्यापार एवं संचार।
→ उत्तर प्रदेश – भारत में स्थान, राजनीतिक विभाग, जलवायु, मृदा वनस्पति एवं वन्यजीव कृषि, खनिज उद्योग-धन्धे जनसंख्या एवं नगरीकरण।
→ धरातल के रूप बदलने वाले कारक (आंतरिक एवं वाहय कारक)
→ वायुमण्डल, जलमण्डल।
→ संसार के प्रमुख प्राकृतिक प्रदेश एवं जनजीवन।
→ खनिज संसाधन, उद्योग-धन्धें।
→ आपदा एवं आपदा प्रबन्धन।
पर्यावरणीय अध्ययन
→ पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन एवं उनकी उपयोगिता
→ प्राकृतिक संतुलन
→ संसाधनों का उपयोग।
→ जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण पर प्रभाव पर्यावरण प्रदूषण।
→ अपशिष्ट प्रबन्धन, आपदाएँ, पर्यावरणविद, पर्यावरण के क्षेत्र में पुरस्कार, पर्यावरण दिवस,
→ पर्यावरण कैलेण्डर।
गृहशिल्प / गृहविज्ञान :
→ स्वास्थ्य एवं स्वच्छता।
→ पोषण, रोग एवं उनसे बचने के उपाय, प्राथमिक उपचार।
→ खाद्य पदार्थों का संरक्षण
→ प्रदूषण |
→ पाचन सम्बन्धी रोग एवं सामान्य बीमारियाँ।
→ गृह प्रबन्धन, सिलाई कला, धुलाई कला, पाक कला, बुनाई कला, कढ़ाई कला।
शारीरिक शिक्षा एवं खेल :
→ शारीरिक शिक्षा, व्यायाम, योग एवं प्राणायाम |
→ मार्चिंग, राष्ट्रीय खेल एवं पुरस्कार।
→ छोटे एवं मनोरंजनात्मक खेल, अन्तर्राष्ट्रीय खेल
→ खेल और हमारा भोजन।
→ प्राथमिक चिकित्सा
→ नशीले पदार्थों के दुष्परिणाम एवं उनसे बचाव का का उपाय, खेलकूद, खेल प्रबन्धन एवं नियोजन का महत्व
संगीत
→ स्वर ज्ञान।
→ राग परिचय।
→ संगीत में लय एवं ताल का ज्ञान
→ तीव्र मध्यम वाले राग।
→ वन्दना गीत / झण्डा गान।
→ देशगान देशगीत, भजन।
→ वनसंरक्षण / वृक्षारोपण |
→ क्रियात्मक गीत
उद्यान विज्ञान एवं फलसंरक्षण
→ मिट्टी, मृदा गठन, भू-परिष्करण, यंत्र, बीज, खाद उर्वरक।
→ सिंचाई सिचाई के यंत्र।
→ बाग लगाना, विद्यालय वाटिका।
→ झाड़ी एवं लताएँ, शोभा वाले पौधे, मौसमी फूल की खेती, फलों की खेती शाक वाटिका, सब्जियों की खेती
→ प्रवर्धन, कायिक प्रवर्धन
→ फल परीक्षण, फल संरक्षण-जैम, जेली, सॉस, अचार बनाना
→ जलवायु विज्ञान
→ फसल चक्र
ख) अध्यापन संबंधी मुद्दे
→ सामाजिक अध्ययन की अवधारणा और पद्धति :
→ कक्षा की प्रक्रियाएं, क्रियाकलाप और व्याख्यान।
→ विवेचित चिंतन का विकास करना।
→ पूछताछ / अनुभवजन्य साक्ष्य।
→ सामाजिक विज्ञान / सामाजिक अध्ययन पढ़ाने की समस्याएं।
→ प्रोजेक्ट कार्य।
→ मूल्यांकन।